सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र | Mahamritunjay Mantra | Shiv Mantra 108 times @bhajanindia
हर रोज प्रति दिन सुबह सुबह महामृत्युंजय मंत्र के सुनने मात्र से अकाल मृत्यु व गंभीर रोग निकट नही आते 108 Times
भगवान शिव जी का ये महामृत्युंजय मंत्र के रोज सुनने मात्र से अकाल मृत्यु व गंभीर रोग निकट नही आते
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Credits:
Singer : Shailendra Bhartti
Lyricist : Traditional
Music Director : Samuel Paul
Graphics : Wings Music
Music Label : Wings Music
Wings Entertainment Ltd
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली मंत्र माना जाता है। यही वह मंत्र है, जो अकाल मृत्यु के भय और अपशकुन को टालने की क्षमता रखता है। इस मंत्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने की थी। इसका वर्णन ऋग्वेद में मिलता है। आइए, जानते हैं इस मंत्र के प्रभाव और इसकी रचना से जुड़ी बातें...
महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। वहीं शिवपुराण सहित अन्य ग्रंथो में भी इसका महत्व बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो मृत्यु को जीतने वाला हो। इसलिए भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है। इसके जप से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती हैं। ये मंत्र जीवन देने वाला है। इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है। महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव से हर तरह का डर और टेंशन खत्म हो जाती है। शिवपुराण में उल्लेख किए गए इस मंत्र के जप से आदि शंकराचार्य को भी जीवन की प्राप्ती हुई थी। 🌸 🌸
ॐ हौं जूं स:
ॐ भूर्भुव: स्व:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्व:
भुव: भू:
ॐ स: जूं हौं ॐ
|| महामृत्युंजय मंत्र ||
ॐत्र्यम्बकंयजामहेसुगन्धिंपुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात्॥
Om Swah
Bhurwah Bhu
Om Sah Joon Haum Om
Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam |
Urvarukamiva Bandhanan MrityorMukshiya Maamritat
Om Swah
Bhurwah Bhu
Om Sah Joon Haum Om
क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ :
इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए
हामृत्युंजय मंत्र जप की विधि :
महामृत्युंजय पाठ 1100 बार करने पर भय से छुटकारा मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र 108 बार पढ़ने से भी फायदा मिलता है।
ओम त्र्यंबकम यजामहे मंत्र का 11000 बार जाप करने पर रोगों से मुक्ति मिलती है
महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपको सवा लाख बार करना चाहिए। वहीं, भोलेनाथ के लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है। सावन माह में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है। वैसे आप यदि अन्य माह में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार के दिन से इसका प्रारंभ कराना चाहिए। इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। इस बात का ध्यान रखें कि दोपहर 12 बजे के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप न करें। मंत्र का जाप पूर्ण होने के बाद हवन करन उत्तम माना जाता है।
क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप :
महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
मंत्र का जप सदैव पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिए। जब तक मंत्र का जप करें, उतने दिनों तक तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
शिव पुराण में भगवान शिव को खुश करने के लिए बहुत सारे मंत्र बताए गए हैं। आज हम आपको एक ऐसा महामंत्र बताने वाले हैं, जिसके जाप से संसार का हर रोग और कष्ट दूर हो जाता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का बहुत प्रिय मंत्र है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति मौत पर भी जीत हासिल कर सकता है। इस मंत्र के जाप से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और असाध्य रोगों का भी नाश होता है। शास्त्रों में इस मंत्र को अलग-अलग संख्या म
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