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ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् अथ पुष्पांजलि मंत्र भाग 3 #पुष्पांजली #शिवजी

मंत्र पुष्पांजलि के विश्वप्रार्थना वाले दिव्य मंत्र

पहला मंत्र-

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:।।


इस मंत्र का भावार्थ-

देवों ने यज्ञ के द्वारा यज्ञरुप प्रजापती का पूजन किया। यज्ञ और तत्सम उपासना के वे प्रारंभिक धर्मविधि थे। जहां पहले देवता निवास करते थे (स्वर्गलोक में) वह स्थान यज्ञाचरण द्वारा प्राप्त करके साधक महानता (गौरव) प्राप्त करते हैं।

दुसरा मंत्र-

ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने। नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं। कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय। महाराजाय नम: ।


इस मंत्र का भावार्थ-

हमारे लिए सब कुछ अनुकुल करने वाले राजाधिराज वैश्रवण कुबेर को हम वंदन करते हैं। वो कामनेश्वर कुबेर मुझ कामनार्थी की सारी कामनाओं को पूरा करें।

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