गरिबी जेब से होती है, पर गुलामी दिमाग से 100% true ❤
मैं पूरी तरह सहमत हूं❤ आजकल तो बस यही हो रहा है धर्म के नाम पर लोग बिकते जा रहे हैं उनको नेता लोग "लूटते" जा रहे हैं
दिल को छू लिया....सत्य बात l..
बहुत ही शानदार कविता है आज के समय में समाज की यही सच्चाई है।
Andbhakt nhi manega bhaiya 😂
शानदार प्रस्तुति! साहब और गुलाम की इस कहानी में शक्ति संतुलन और सामाजिक संरचना का बहुत ही गहरा चित्रण है। इसे देखकर सोचने पर मजबूर होना पड़ा – क्या आज भी कहीं न कहीं यही संघर्ष जारी है?
Humanity is best religion ❤
मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है 🎉❤❤
ध्रुव राठी भाई भारत के लोगों को समझने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं इनको दिल से सलाम!❤❤😊
मैं हिंदू हूं पर किसी से नफरत नहीं करता क्योंकि मुझे ना किसी से खतरा है और ना मेरी संस्कार मुझे इजाजत देते हैं...l❤❤❤
भाई आपका कविता बहुत अच्छा है और धर्म के प्रति जागरूकता भी🙏
इसलिए राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले साहब ने गरीबी के बदले गुलामगिरी ग्रंथ लिखा है। जो आज भी सही है।
Salute Vijeta Dahiya for penning this revolutionary poem and salute Dhruv Rathi for turning it into such powerful imagery 🙏
गरीबी जेब से होती है, पर गुलामी दिमाग से❤ 💯💯
Farzi baba ka pradarshan was personal 😂
Very nice poem by Vijeta Dahiya.👍🏼
Dhurve Rathee sir is actual hero ❤👍
बेहद विचारणीय
भारत की पब्लिक कभी नहीं समझेगी
@Anita-dl4nq